लेखनी प्रतियोगिता -23-Jan-2023
मेरे हाथों की लकीरों में नाम तुम्हारा था
तभी मेरी मेंहदी का रंग इतना काला था
ये प्यार का रंग कुछ मुझमें भी चढ़ गया
तभी मेरे काम काज का ढंग देखो बदल गया
मेरे गालों को लाली और मुस्कुराहट प्यारी
सुरुमा भरी आंखों ने बस तुझको निहारा था
तेरे आने की आहट और मेरे दिल की चाहत
मिलन का वो वक्त भी कितना प्यारा था
नोक झोंक रिश्तों में थोड़ी तकरार भी हुई
मेरे आसू को बहता देख तुम मान भी जाते थे
प्यार कितना था मैं अजमाया करती
बदल तो जाऊंगी मैं हर रोज चिढ़ाया करती थी
मेरे बिन न रहा पाना ये गीत वो गाना था
मेरी गलियों में आने का हर रोज बहाना था
मुझसे हर बात पूछ के काम किया करते
देखो ना हम संग कितना खुश रहा करते
दूरी का अंदाजा कम वीडियो कॉल के
जरिए ही नजदीक बुलाना था
जल्द साथ होंगे हम खुदा को मिलाना था।
Renu
24-Jan-2023 03:02 PM
👍👍🌺
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madhura
24-Jan-2023 10:56 AM
nice poem
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Mahendra Bhatt
24-Jan-2023 09:02 AM
Nice
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